Rajasthan Patrika Sampadkiya #01 | REPUBLIC STENO

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Hindi Translation

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( दोहरे प्रयास जरूरी )

पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है। कोरोना के चलते वैश्विक मंदी की आशंका वयक्त की जा रही है। कहा जा रहा है कि दुनिया को अर्थव्यवस्था के संकटों से जूझना पड़ेगा। हालांकि भारत जैसे देशों के लिए कुछ राहत की खबर है। अगर भारत इस वायरस को यहीं पर रोकने में कामयाब हो जाता है और लाॅकडाउन ज्यादा दिन नहीं चलता है तो यहां वैश्विक मंदी की मार अपेक्षाकृत कम हो सकती है। संभव है कि भारत जैसे देश एक तिमाही के बाद इस मंदी से निकल भी जाएं। दरअसल, लाकडाउन में शटडाउन जैसे हालात हो गए हैं। कारोबार तक ठप हैा, उद्योग बंद हैं, कारोबारी घर बैठे हैं और मंदी के साथ बेरोजगारी बढ़ने का संकट मंडरा रहा है। ऐसे में चुनौती कई तरफ से आ रही है। सरकार और देश को कोरोना के साथ उन चुनौतियों से जूझना पड़ेगा। एक बड़ा सवाल इस बात को लेकर ही उठ रहा है कि अगर यह लाॅकडाउन ज्यादा आगे चला गया तो उद्योगों को वापस खड़ा होने में कितना वक्त लग सकता है। इन उद्योगों में काम करने वालों का भविष्य क्या होगा? बेरोजगारों की एक बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी, उससे सरकार किस तरह से निपटेगी? बेरोजगारी के साथ मंदी भी प्रभावी होती चली जाएगी। तो फिर क्या किया जाए। ऐसे में कुछ प्रयोगों की तरफ नजर दौड़ानी चाहिए। पंजाब ने अपने यहां पर उद्योगों को राहत दी। उद्योगों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सुरक्षा मानकों को पूरा कर काम शुरू करने की आजादी दी है। इस पहल का स्वागत होना चाहिए और दूसरे राज्यों को भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।




पंजाब के साथ हमें मध्यप्रदेश के प्रयोग को भी सराहना चाहिए। यहां इंदौर में किसी तरह से सरकार ने दवा कंपनी को वापस शुरू कराया है। दरअसल, हाईडोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग इस समय कोरोना के इलाज के लिए किया जा रहा है। इसकी कमी न हो, इसके लिए सरकारें दस दवा पर काम करने वाली फैक्ट्रियों को वापस शुरू करा रही है। इंदौर में दवाई फैक्ट्री के कर्मचारियों को लाॅकडाउन से बचाने के लिए पास की एक सरकारी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में ठहराया गया है। इन्हें सरकारी बसों से ही फैक्ट्री तक ले जाया जा रहा है। कोशिश यही की जा रही है कि सुरक्षा के लिए जरूरी मानकों को पूरा किया जाए और फैक्ट्री को वापस चालू रखा जाए, ताकि दवा सप्लाई पर कोई असर नहीं पड़े। ऐसे प्रयोगों के जरिए भी हम अपने उद्योगों को शटडाउन से निकाल कर सोशल डिस्टेंसिंग और लाॅकडाउन तक सीमित रख सकते हैं। इससे अर्थव्यवस्था जीवित रहेगी। देशवासियों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी बचाना जरूरी है। वे तमाम प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे लोगों का जीवन भी बचे और बाजार-उद्योगों की रफ्तार भी बनी रहे। इसके लिए केंद्र से ज्यादा राज्य सरकारों को प्रयास करने की जरूरत है।



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