Nebhand Bullet Train #01 | REPUBLIC STENO
Hindi Translation
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( बुलेट ट्रेन / शिनकानसेन )
भारत में 165 वर्ष पूर्व 16 अप्रैल, 1853 को 3381 किलोमीटर लम्बे मार्ग पर मुम्बई से आठ किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से पहली रेलगाड़ी चलाई गई थी। आज विश्व के शीर्ष रेल नेटवर्क वाले 5 देशों में शामिल है। कर्मचारियों की वृहत् संख्या के आधार पर भारतीय रेल विश्व की नौवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक संस्था है। भारतीय रेल ने विकास करते हुए और नई तकनीक को आत्मसात् करते हुए वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। भारतीय रेल के विकास की अगली कड़ी बुलेट ट्रेन है। इसमें रफ्तार भी है और सुरक्षा भी है। रफ्तार भारतीय जनमानस को रोमांच से भर देगी और सुरक्षा तनाव से मुक्त कर देगी। इसी विश्वास के साथ 14 सितम्बर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में साबरमती के पास देश की पहली हाई स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी। भारत सरकार ने यह परियोजना जापान की सहायता से शुरू की है तथा 15 अगस्त, 2022 को ट्रेन के परिचालन का लक्ष्य रखा गया है। भारत में हम जिसे बुलेट ट्रेन कहते हैं।
जापान में बुलेट ट्रेन की परिकल्पना 19वीं सदी में ही रख दी गई थी, लेकिन लगातार दो विश्व युद्धों के कारण यह क्रियाशील नहीं हो पाई। 1930 के दशक में शुरुआत करने की कोशिश की गई पर यह परियोजना चल नहीं पाई। बाद में 1940 के दशक में जब इसे दोबार शुरू किया गया, तब इसका नाम शिनकानसेन रखा गया। अक्टूबर, 1964 में टोक्यो ओलम्पिक के समय पहली शिनकानसेन ट्रेन चली। जिसका अविष्कार जापान में हुआ। इसने टोक्यो से 600 किलोमीटर की दूरी सिर्फ चार घण्टे में पूरी कर ली। अब तो यह दूरी ढाई घण्टे में तय हो जाती है। वर्तमान में विश्व के मात्र 16 देशों में बुलेट ट्रेन की सुविधान उपलब्ध है।
अपनी बेहतरीन तकनीक की वजह से शिनकानसेन ग्लोबल ब्रैण्ड बन चुका है। जापान से भारत को बुलेट ट्रेन की सबसे बेहतरीन और सुरक्षित शिनकानसेन तकनीक मिलेगी और वाहन संचालन एवं रख-रखाव का भी प्रशिक्षण मिलेगा। इसके लिए बडोदरा में एच.एस.आर. संस्थान स्थापित करने की योजना बनाई जा चुकी है।
( बुलेट ट्रेन / शिनकानसेन )
भारत में 165 वर्ष पूर्व 16 अप्रैल, 1853 को 3381 किलोमीटर लम्बे मार्ग पर मुम्बई से आठ किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से पहली रेलगाड़ी चलाई गई थी। आज विश्व के शीर्ष रेल नेटवर्क वाले 5 देशों में शामिल है। कर्मचारियों की वृहत् संख्या के आधार पर भारतीय रेल विश्व की नौवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक संस्था है। भारतीय रेल ने विकास करते हुए और नई तकनीक को आत्मसात् करते हुए वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। भारतीय रेल के विकास की अगली कड़ी बुलेट ट्रेन है। इसमें रफ्तार भी है और सुरक्षा भी है। रफ्तार भारतीय जनमानस को रोमांच से भर देगी और सुरक्षा तनाव से मुक्त कर देगी। इसी विश्वास के साथ 14 सितम्बर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में साबरमती के पास देश की पहली हाई स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी। भारत सरकार ने यह परियोजना जापान की सहायता से शुरू की है तथा 15 अगस्त, 2022 को ट्रेन के परिचालन का लक्ष्य रखा गया है। भारत में हम जिसे बुलेट ट्रेन कहते हैं।
जापान में बुलेट ट्रेन की परिकल्पना 19वीं सदी में ही रख दी गई थी, लेकिन लगातार दो विश्व युद्धों के कारण यह क्रियाशील नहीं हो पाई। 1930 के दशक में शुरुआत करने की कोशिश की गई पर यह परियोजना चल नहीं पाई। बाद में 1940 के दशक में जब इसे दोबार शुरू किया गया, तब इसका नाम शिनकानसेन रखा गया। अक्टूबर, 1964 में टोक्यो ओलम्पिक के समय पहली शिनकानसेन ट्रेन चली। जिसका अविष्कार जापान में हुआ। इसने टोक्यो से 600 किलोमीटर की दूरी सिर्फ चार घण्टे में पूरी कर ली। अब तो यह दूरी ढाई घण्टे में तय हो जाती है। वर्तमान में विश्व के मात्र 16 देशों में बुलेट ट्रेन की सुविधान उपलब्ध है।
अपनी बेहतरीन तकनीक की वजह से शिनकानसेन ग्लोबल ब्रैण्ड बन चुका है। जापान से भारत को बुलेट ट्रेन की सबसे बेहतरीन और सुरक्षित शिनकानसेन तकनीक मिलेगी और वाहन संचालन एवं रख-रखाव का भी प्रशिक्षण मिलेगा। इसके लिए बडोदरा में एच.एस.आर. संस्थान स्थापित करने की योजना बनाई जा चुकी है।
भारत आने वाले 25 वर्षों में दुनिया की सबसे बड़़ी अर्थव्यवस्था बनने का सपना संजोए हुए है। वह पहले ही परमाणु ताकत से लैस है और अन्तरिक्ष के क्षेत्र में इसने विश्वसनीय प्रगति की है। और अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। ऐसे में नेटवर्क वाले देशों के विशेष क्लब में शामिल होने का भारत का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है, जिसने भारतीय परिवहन को एक नई उड़ान दी है।
एचएसआर के साथ-साथ नए उत्पादन और टाउनशिप को भी विस्तारित किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक सस्ते आवासों, लाॅजिस्टिक्स केन्द्रों और औद्योगिक इकाइयों के खुलने से छोटे कस्बों और शहरों को भी लाभ होगा।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बुलेट ट्रेन परियोजना भारत मं परिवहन के विकास में मील का पत्थर साबित होगी, क्योंकि यह माना जाता है, परिवहन ही किसी देश के चाहूमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। अतः भारत में बुलेट ट्रेन परियोजना का शुभारंभ एक सराहनीय कदम है, किन्तु यह भी ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है कि अन्य रेलमार्ग परियोजनाओं के विकास को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि दोनों के समम्बित सहयोग से देश प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ सकें।
एचएसआर के साथ-साथ नए उत्पादन और टाउनशिप को भी विस्तारित किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक सस्ते आवासों, लाॅजिस्टिक्स केन्द्रों और औद्योगिक इकाइयों के खुलने से छोटे कस्बों और शहरों को भी लाभ होगा।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बुलेट ट्रेन परियोजना भारत मं परिवहन के विकास में मील का पत्थर साबित होगी, क्योंकि यह माना जाता है, परिवहन ही किसी देश के चाहूमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। अतः भारत में बुलेट ट्रेन परियोजना का शुभारंभ एक सराहनीय कदम है, किन्तु यह भी ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है कि अन्य रेलमार्ग परियोजनाओं के विकास को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि दोनों के समम्बित सहयोग से देश प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ सकें।
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