NEWS PAPER DICTATION #10 | REPUBLIC STENO

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Hindi Translation
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 [ --  वैश्विक दबदबा  -- ]



     पूरी दुनिया की हालत फिलहाल उस विशालकाय जलपोत जैसी है, जो कोरोना के तूफान से जूझ रहा है। इस तूफान के दौरान जहां दुनियाभर में सामाजिक स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त करने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के समीकरण में बदलाव के आसार भी नजर आ रहे हैं। संक्रमण की महामारी से अंतरराष्ट्रीय महाशक्ति माने जाने वाले अमरीका के भी हाथ पैर फूले हुए हैं। सैन्य, शास्त्र, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान में ढेरों उपलब्धियों वाला अमरीका कोरोना वायरस से मौतों के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। भयावह हालात के बीच राष्ट्रपति डाॅनल्ड ट्रंप ने शनिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर कोरोना के खिलाफ युद्ध में सहयोग की मांग की। अमरीका हाइड्रोक्सी टैबलेट की खेप चाहता है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसका इस्तेमाल मलेरिया से लड़ने में किया जाता है। कोरोना वायरस के खिलाफ भी कारगर साबित होने के बाद इसकी मांग काफी बढ़ गई है। घरेजू बाजार में दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुका है। भारतीय दवा निर्माता कंपनियां इसके लिए कच्चा माल चीन और ब्राजील से मंगाती हैं। ट्रंप से बातचीत के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति से बात कर यह भरोसा हासिल किया कि ब्राजील से इस दवा के कच्चे माल की आपूर्ति में कोई कमी नहीं आएगी। चीन से कई देशों को भेजे गए मेडिकल उपकरणों की गुणवत्ता खराब होने के कारण यूरोपीय देश चीन से नाराज हैं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से अमरीका की आस भारत पर टिकी हुई है।




      कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की कोशिशों की विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई देश तारीफ कर चुके हैं। संक्रमण पर अंकुश के लिए भारत 21 दिन के लाॅकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग पर फोकस कर रखा है। संकट काल में राहत पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ान भर रहे एयर इंडिया के विमानों की अगर पाकिस्तान भी तारीफ करता है तो अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत के बढ़ते प्रभाव को समझा जा सकता है। भारत चाहता है कि कोरोना के खिलाफ युद्ध सभी देश मिलकर लड़ें। हाल ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई जी-20 देशों की विशेष बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ युद्ध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़ने का आह्वान किया था। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में चीन कुछ अलग-थलग जरूर पड़ गया है। जाहिर है, यह बिरादरी संकट के मौजूदा दौर के साथ-साथ भविष्य की वैश्विक व्यवस्था में भी भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका को नजर अंदाज नहीं कर सकती। उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी देश मिलकर कोरोना को हराने में कामयाब रहेंगे और उनमें परस्पर सहयोग की जो भावना विकसित हुई है, वह आगे भी बरकरार रहेगी। दुनिया की शांति, स्वास्थ्य और विकास के लिए वसुधैव कुटुम्बकुम की भावना को प्रबल करना बेहद जरूरी हो गया है।

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