Rajasthan HighCourt Dicatation #07 (80 Wpm) REPUBLIC STENO

Rajasthan HighCourt Dicatation #07 (80 Wpm) REPUBLIC STENO




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 [ --  Rajasthan High court dictation  -- ]





      महोदय, उन मामलों में, जिनमें जिला मजिस्ट्रेट अथवा राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेषतया सशक्त किए गए किसी अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट की राय में इस धारा के अधीन कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है और तुरंत निवारण या शीघ्र उपचार करना वांछनीय है, वह मजिस्ट्रेट ऐसे लिखित आदेश द्वारा जिसमें मामले के तात्विक तथ्यों का कथन होगा और जिसकी तामील धारा 134 द्वारा उपबन्धित रीति से कराई जाएगी, किसी व्यक्ति को कार्य-विशेष न करने या अपने कब्जे की या अपने प्रबंधाधीन किसी विशिष्ट सम्पत्ति की कोई विशिष्ट व्यवस्था करने का निर्देश उस दशा में दे सकता है जिसमें मजिस्ट्रेट ऐसा समझता है कि ऐसे निर्देश से यह सम्भाव्य है या ऐसे निर्देश की यह प्रवृत्ति है कि विधिपूर्वक नियोजित किसी व्यक्ति को बाधा, क्षोभ या क्षति का, या मानव जीवन, स्वास्थ्य या क्षेम को खतरे का या लोक प्रशान्ति बिक्षुब्ध होने का या दंगे का निवारण हो जाएगा।




      आदेश आपात की दशाओं में या उन दशाओं में जब परिस्थितियां ऐसी हैं कि उस व्यक्ति पर, जिसके विरूद्ध वह आदेर्श निर्दिष्ट है, सूचना की तामील सम्यक समय में करने की गुंजाइश न हो, एक पक्षीय रूप में पारित किया जा सकता है आदेश किसी विशिष्ट व्यक्ति को, या किसी विशेष स्थान या क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को अथवा आमजनता को, जब वे किसी विशेष स्थान या क्षेत्र में जाते रहते हैं या जाएं, निर्दिष्ट किया जा सकता है धारा के अधीन कोई आदेश उस आदेश के दिए जाने की तारीख से दो महीने से आगे प्रवृत्त न रहेगा, परंतु यदि राज्य सरकार मानव जीवन, स्वास्थ्य या क्षेत्र को खतरे का निवारण करने के लिए अथवा किसी दंगे का निवारण करने के लिए ऐसा करना आवश्यक समझती है तो वह अधिसूचना द्वारा यह निर्देश दे सकती है कि मजिस्ट्रेट द्वारा इस धारा के अधीन किया गया कोई आदेश उतनी अतिरिक्त अवधि के लिए जितनी वह उक्त अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, वह अतिरिक्त अवधि उस तारीख से छह महीने अधिक की न होगी जिसको मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया आदेश ऐसे निर्देश के अभाव में समाप्त हो गया होता।
कोई मजिस्ट्रेट या तो स्वप्रेरणा से या किसी व्यक्ति के आवेदन पर किसी आदेश को विखण्डित या परिवर्तित कर सकता है जो स्वयं उसने या उसके किसी अधीनस्थ मजिस्ट्रेट ने या उसके पद पूर्ववर्ती ने दिया है। जहां उपधारा 5 या उपधारा 6 के अधीन आवेदन पत्र प्राप्त होता है, वहां यथास्थिति मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार आवेदक को या तो स्वयं या प्लीडर द्वारा उसके समक्ष हाजिर होने और आदेश के विरूद्ध कारण दर्शित करने का शीघ्र अवसर देगी।

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