Rajasthan Hight cour Dictation #01 (80 wpm) [ Republic Stenography ]

Rajasthan Hight cour Dictation #01 (80 wpm)




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     आज जीवन के हर क्षेत्र में मिलावट का बोलबाला है। पहले केवल खाद्य पदार्थों में मिलावट की बात देखी और सुनी जाती थी। मगर आज तो प्रत्येक कण में मिलावट व्याप्त हो रही है। राजनीति, समाज सेवा, संस्कृति, साहित्य, सामाजिक, सामाजिक क्षेत्र, खेल आदि कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। और तो और हम लोग बातें भी मिलावटी कर रहे हैं। साफ सुथरी और बेबाक बातें जैसे इतिहास की बातें हो गई हैं। खैर आज हम अपने स्वास्थ्य से जुड़ी बातें कर रहे हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट ने हमारा जीना हराम कर रखा है। हर चीज में मिलावट ने हमारी जिंदगी की गति को अवरुद्ध कर दिया है। शरीर का हर हिस्सा जैसे मिलावट से कराह रहा है। जितनी चोटें युद्ध भूमि में राणा सांगा ने नहीं खाई थी उतनी हम मिलावट वस्तुओं से रोज ही खा रहे है। इसका मतलब बिल्कुल साफ है कि हमारा शरीर पूरी तरह मिलावटी हो गया है।

मिलावट ने हमारे जन जीवन को जहरीला बना दिया है। खाद्य प्रदार्थों में अशुद्ध, सस्ती अथवा अनावश्यक वस्तुओं के मिश्रण को मिलावट करते हैं। मिलावट के आतंक से गरीब से अमीर, बच्चे से बुजुर्ग तक आतंकित हैं। आज समाज में हर तर मिलावट ही मिलावट देखने को मिल रही है। पानी से सोने तक मिलावट के बाजार ने हमारी बुनियाद को हिला कर रख दिया है। पहले दूध में पानी और शुद्ध देशी घी में वनस्पति घी की मिलावट की बात सुनी जाती थी मगर आज प्रत्येक घर में वस्तुओं में मिलावट देखने और सुनने को मिल रही है। मिलावट का अर्थ प्राकृतिक तत्वों और पदार्थों में बाहरी, बनावटी या दूसरे प्रकार के मिश्रण से है।



     मुनाफाखोरी करने वाले लोग रातोंरात धनवान बनने का सपना देखते हैं। अपना यह सपना साकार करने के लिए वे बिना सोचे समझे मिलावट का सहारा लेते हैं। सस्ती चीजों का मिश्रण कर सामान को मिलावटी कर महेंगे दामों में बेचकर न केवल धोखा दिया जाता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी किया जाता है। मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से प्रतिवर्ष हजारों लोग विभिन्न विमारियों का शिकार होकर जीवन से हाथ धो बैठते हैं। मिलावट का धंधा हर तरफ देखने को मिल रहा है। दूध बेचने और मिलावट करने वाले से लेकर देशी और विदेशी कम्पनियों तक ने मिलावट के बाजार पर अपना कब्जा कर लिया है।

खाद्य पदार्थों में मिलावट की वस्तुओं पर निगाह डालने पर पता चलता है कि मिलावटी सामानों का निर्माण करने वाले लोग कितनी चालाकी से लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं और इन मिलावटी वस्तुओं का प्रयोग करने से लोगों को कितनी कठिनाइयां उठानी पड़ रही है। मिलावट एक संगीन अपराध है। मिलावट पर काबू नहीं पाया गया तो यह ऐसा रोग बनता जा रहा है कि यह समाज को ही निगल जाएगा।

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