Rajasthan Hight cour Dictation #02 (80 wpm

Rajasthan Hight cour Dictation #02 (80 wpm)




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     माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय इस देश के हेतु एक कानून के समान है जिसकी पालना करना प्रत्येक न्यायालय हेतु बाध्यकारी है और देश की सभी सिविल संस्थाओं और न्यायिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे उसकी पालना करें। संविधान में इस व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। इन संवैधानिक प्रावधानों के दायरे में हमें कोर्ट के निर्णय में दी गई टिप्पणियों पर विचार करना चाहिए। माननीय न्यायालय के निर्णय में यह टिप्पणी विचारणीय है, जहां यह कहा गया है, इस केस में हुए रहस्य उद्घाटन से पता चलता है कि एक बड़े पैमाने पर पैसा गलत ढंग से कमाया गया है और नेताओं ने जो भ्रष्टाचार किया है वह उनका दैनिक आचरण ही बन गया था और ये लोग बिना भय के निडर होकर देश की सम्पत्ति को नोच रहे थे। इस संकेत को हमें समझना होगा। वे सरकारी कर्मचारी तथा मंत्रीगण जो अज्ञात स्त्रोतों से आय अर्जित कर रहे हैं, वे भ्रष्टाचार विरोधी कानून के चंगुल में आ जाते हैं। ऐसे लोगों पर इस निर्णय के अनुसार कार्यवाही की जानी चाहिए। जब तक देश के लगभग सौ लोगों को भ्रष्टाचार के आरोप में सजा नहीं होगी उस देश के ये भ्रष्टजन भ्रष्ट आचरण में लिप्त रहेंगे और जनता का शोषण करते रहेंगे।



      सर्वोच्च न्यायालय का ध्येय वाक्य सत्यमेव जयते है। गांधी ने सत्य को भगवान का स्वरूप माना था और अंहिसा से भी उच्च रखा था। हमारे धर्म शास्त्रों में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है कि धर्म की नींव आचरण की शुद्धता पर है, क्योंकि यदि कोई धार्मिक कहलाने वाले साधु चरित्रहीन है तो वह सन्त हो ही नहीं सकता। अंग्रेजों के शहादत के कानून में यह व्यवस्था है कि यदि कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसका बयान पूरा ही नहीं माना जावेगा किन्तु हमारे देश में व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसक बयान पूरा ही नहीं माना जावेगा किन्तु हमारे देश में व्यक्ति शपथ लेने के बाद झूठ ही बोलता दिखाई देता है। ऐसे कोई अपवाद ही होंगे जो कि झूठ नहीं बोलते होंगे। न्यायालय को यह अधिकार है कि वह भूसे से दाना निकाल कर सत्य को उजागर करे। एक बहुत बड़े प्रश्न को न्यायालय ने सुलझाया कि यदि कोई लोक सेवक उपहार लेता है तो वह भ्रष्टाचार के कानून के तहत अपराध है तथा इन दलील को भी नहीं माना कि उपहार पर आयकर देने मात्र से वह वैध आय हो जाती है। यह एक स्पष्ट संकेत है जिसके आधार पर राज्य के सभी लोक सेवक व मंत्रियों के तथाकथित भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है। आज देश को आवश्यकता है कि कानून में सुधार किया जाये तथा ऐसी प्रणाली विकसित की जाये जहां न्याय सुलभ व त्वरित हो। आशा की जा सकती है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का ध्यैय वाक्य यथार्थ में बदलेगा और सत्यमेव जयते की ध्वनि सभी न्यायालयों में सुनाई देगी। इस देश की सबसे शक्तिशाली संवैधानिक संस्था सुप्रीम कोर्ट है। इसका ध्येय वाक्य सत्यमेव जयते है। सत्य की सदैव जीत होगी।


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