Rajasthan Patrika Editorial Dictation #01

Rajasthan Patrika Editorial #01




Hindi Translation

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( यह कैसा निदान )

विश्व के सभी देश कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं। वायरस के तेजी से फैलने के साथ ही अब इस पर नियंत्रण के प्रयास भी विश्व स्तर पर चल रहे हैं। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच अब कई स्थानों से ऐसी खबरें भी आने लगी हैं, जो उम्मीद बढ़ाने वाली है। पीड़ित लोग इसके प्रभाव से बाहर निकल रहे हैं। दिन-रात कोरोना वायरस के पीड़ितों के इलाज में जुटे डाॅक्टर मरीजों को दुरुस्त कर रहे हैं। इलाज में जुटे डाॅक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ पर भी वायरस की चपेट में आने का खतरा मंडरा रहा है। इस खतरे से वाकिफ होते हुए भी वे लोगों की जान बचाने में मुस्तैदी से जुटे हैं। चिकित्सकों के इस साहसिक-समर्पित कार्य के बीच जयपुर में आश्चर्यजनक स्थिति भी देखने को मिल रही है। कोरोना के भय से कई चिकित्सकों ने दूसरे मर्ज के रोगियों को देखना बंद कर दिया है। हद तो यह कि कई निजी अस्पतालों में ओपीडी ही बंद कर दी गई है।

वे इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं, जैसे कोरोना के आने से दूसरे सभी रोग गंभीर नहीं रहे। उनसे पीड़ित लोगों को इलाज की जरूरत नहीं है। अस्पतालों में पहले ही यह छंटनी हो चुकी है। गंभीर रोग के मरीजों को पहले ही चिन्हित कर लिया गया है। लोगों ने भी इसको समझा है और अस्पताल उसी मर्ज की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं, जिसमें तत्काल चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है। लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद लोगों को जो अनुभव हो रहा है, उसकी कतई उम्मीद न थी। उनके लिए अस्पताल के दरवाजे बंद हैं। 





      इस आपातकाल में निजी चिकित्सालय अतिरिकत राष्ट्रीयता दिखाने के बजाय अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। अस्पताल में इलाज करने से ही इनकार किया जा रहा है। ओपीडी तक बंद कर दी गई हैं। अस्पताल में पहले से इलाज ले रहे मरीजों के साथ भी ऐसा ही बर्ताव किया जा रहा है, जो उचित नहीं है। चिकित्सक ऐसा नहीं कर सकते। चिकित्सा पर भारी व्यवसाय का ही नतीजा है कि अस्पताल में ही मरीज के घुसने पर रोक लगा दी गई।

दूर दराज नहीं बल्कि खुद राजधानी में सामने आ रही यह स्थिति सरकार के नियंत्रण पर सवाल उठाती है। आपात स्थिति के मद्देनजर प्रशासन ने सब कुछ अपने नियंत्रण में ले रखा है। यह नियंत्रण कितना प्रभावी है, इसका अंदाजा निजी अस्पतालों की मनमर्जी देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। सरकार ने अस्पतालों के इस गैर जिम्मेदाराना बर्ताव पर ध्यान नहीं दिया तो कोरोना की तरह दूसरे सामान्य रोग भी भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।



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