Rajasthan Patrika Sampadkiya Dictation #02 | REPUBLIC STENO

Rajasthan Patrika Sampadkiya #02 | REPUBLIC STENO




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जांच में हो तेजी )


कोरोना वायरस की महामारी से निबटने के लिए भारत में चल रहा 21 दिनों का लाॅकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त होने वाला है। हम अनुमान ही लगा सकते हैं कि यदि लाॅकडाउन न किया गया होता तो क्या होता। निश्तित रूप से लाॅकडाउन का लाभ हो रहा होगा और वायरस को फैलने से रोकने में मदद मिल रही होगी। हालांकि, जिस तरह वायरस संक्रमितों की संख्या अब भी बढ़ती जा रही है, यह गंभीर चिंता की बात है। इसके बढ़ने का सिलसिला रुकता नजर नहीं आ रहा है। तो क्या लाॅकडाउन की मियाद और बढ़ाई जाएगी? यह सवाल अब उठने लगा है। चूंकि लोगों की आवाजाही रोकने और सोशल डिस्टेसिंग के अतिरिक्त और कोई तरीका इस वायरस के प्रजनन चक्र को रोकने का अब तक सामने नहीं आया है, इसलिए कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि लाॅकडाउन को कुछ दिनों के लिए और बढ़ाने पर विचार किया जाए। जिन देशों ने लाॅकडाउन में देरी की, उन्हें काफी नुकसान उठाने के बाद ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सिंगापुर और जापान जैसे देश, जो अब तक बिना कोई सख्त पाबंदी लगाए इस वायरस को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें भी धीरे-धीरे पाबंदी बढ़ानी पड़ रही है।




      सवाल यह भी है कि देशभर में लागू लाॅकडाउन का इस्तेमाल करते हुए सरकार को और क्या-क्या करना चाहिए? सह सवाल अब इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि कुछ समूहों ने कोरोना लाॅकडाउन और सोशल डिसटेंसिंग की सलाह को लेकर उतनी गंभीरता नहीं दिखाई है जितनी जरूरी थी। दिल्ली के  निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल होने वाले संभावित खतरे के रूप में देखे जा रहे हैं। इसी तरह लाॅकडाउन की परवाह न करे हुए बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों का अपने-अपने गृहराज्य में लौटना भी संभावित खतरे की ओर इशारा कर रहा है। विदेशों से करीब 15 लाख लोग पिछले कुछ समय में देश लौटे हैं, उन्हें भी शक के दायरे से दूर नहीं रखा जा सकता। कुल मिलाकर देखें तो देश में काफी बड़ी तादाद ऐसी है जिन्हें जांचे बगैर हम निश्चिंत नहीं हो सकते। ऐसे में सबसे जरूरी यह है कि अधिक से अधिक जांच की जाए। हमने पहले तो सिर्फ उन्हीं की जांच की जिनमें लक्षण दिखे। बाद में उन्हें भी जांच के दायरे में लिया गया जो पाॅजिटिव लोगों से किसी भी तरह संपर्क में थे। अब जाकर इस दायरे को बड़ा किया गया है और उन सभी लोगों की जांच की सलाह दी गई है, जिसमें निमोनिया या स्वसन संबंधी समस्या सामने आ रही है। मरीजों की संख्या बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है। लाॅकडाउन की मियाद के भीतर ही यदि सभी संदिग्धों की जांच कर ली जाती है तो वायरस को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। लाॅकडाउन खत्म होने के बाद ऐसा करना थोड़ा मुश्किल होगा।


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