Ramdhari Gupta Khand 1 Dictation #05 [ 90 WPM ]

Ramdhari Gupta Khand 1 Dictation #05 [ 90 WPM ] [ REPUBLIC STENOGRAPHY ]




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 [ --   Ramdhari Khand 1 Dictation #05   -- ]


   70 शब्द प्रतिमिनट

  उपाध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री को देष की आर्थिक स्थिति और निर्धनता के संबंध में जितनी जानकारी प्राप्त होती है उतनी किसी अन्य मंत्री को संभव नहीं होती। बजट बनाते समय वैसे तो बजट में आय-व्यय का ब्यौरा होता ही है, लेकिन मूल रूप में देष की आर्थिक नीतियों में किस प्रकार का परिवर्तन हो तभी किस मार्ग पर वह देष को चलाना चाहते हैं, सरकार का लक्ष्य क्या है, इन सब // नीतियों का बजट में विवरण होता है। हमारे वित मंत्री चाहे जिस पद पर भी रहे हों, चाहे वे मुख्यमंत्री रहे हों या केद्रीय सरकार में रहे हों, उन्होंने शानदार काम किया। जिस सतय उन्होंने बजट प्रस्तुत किया उस समय देष को और विषेश रूप से गरीबों को उन से बहुत-सी आषाएं थी। देश में लगभग 6 लाख गांव हैं, उनमें जो बेरोजगारी है, गरीबी है, उसके संबंध में देश // की जनता को उनसे बड़ी आशाएं थीं और जनता देखना चाहती थी कि इस अवसर पर सरकारी नीतियों के द्वारा देश को वे क्या मार्गदर्शन देना चाहते हैं।

इस दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण बातें इस समय देश के सामने थी - देश का आर्थिक विकास तेजी से हो, अधिक लोगों को काम मिल सके और मूल्यों में स्थिरता आए। जहां तक इन तीन उद्देश्यों का संबंध है इमने देखा कि // उस ओर कुछ प्रयत्न हुए हैं। विशेष रूप से गरीबी हटाओं के संबंध में इस देश में जो चर्चा चल रही है, इस बजट में कुछ सीमा तक उसका उल्लेख मिलता है, क्योंकि जितने भी प्रत्यक्ष कर लगे हैं वे ज्यादातर धनी लोगों पर और विशेष रूप से शहर के लोगों पर लगाए गए हैं। इस तरह से जो एक प्रकार की आर्थिक असमानता हमारे देश में चल रही है, // उसको दूर करने का प्रयत्न अवश्य किया गया है।

लगभग पांच दशक पूर्व जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था, उस समय देश में जितने सरकारी कर्मचारी थे, वे ऐसा समझ बैठे थे कि अब तक देश में जिस तरह से अंग्रेजों का प्रशासन चल रहा था उस तरह से काम नहीं चलेगा, क्योंकि कांग्रेस के जो नए लोग आए थे, जो मंत्री बने थे, वे लोग धन के मामले // में त्यागी आदमी हैं, धन से उनको मोह नहीं है। लेकिन बाद में उन्होंने देखा कि हमारे मंत्री लोग भी उसी तरह से शानदार जीवन पसंद करने लग गए, जिस तरह से अंग्रेज करते थे।

   80 शब्द प्रतिमिनट

उपाध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री को देष की आर्थिक स्थिति और निर्धनता के संबंध में जितनी जानकारी प्राप्त होती है उतनी किसी अन्य मंत्री को संभव नहीं होती। बजट बनाते समय वैसे तो बजट में आय-व्यय का ब्यौरा होता ही है, लेकिन मूल रूप में देष की आर्थिक नीतियों में किस प्रकार का परिवर्तन हो तभी किस मार्ग पर वह देष को चलाना चाहते हैं, सरकार का लक्ष्य क्या है, इन सब नीतियों का बजट में विवरण होता है। हमारे वित मंत्री // चाहे जिस पद पर भी रहे हों, चाहे वे मुख्यमंत्री रहे हों या केद्रीय सरकार में रहे हों, उन्होंने शानदार काम किया। जिस सतय उन्होंने बजट प्रस्तुत किया उस समय देष को और विषेश रूप से गरीबों को उन से बहुत-सी आषाएं थी। देश में लगभग 6 लाख गांव हैं, उनमें जो बेरोजगारी है, गरीबी है, उसके संबंध में देश की जनता को उनसे बड़ी आशाएं थीं और जनता देखना चाहती थी कि इस अवसर पर सरकारी नीतियों के द्वारा // देश को वे क्या मार्गदर्शन देना चाहते हैं।

इस दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण बातें इस समय देश के सामने थी - देश का आर्थिक विकास तेजी से हो, अधिक लोगों को काम मिल सके और मूल्यों में स्थिरता आए। जहां तक इन तीन उद्देश्यों का संबंध है इमने देखा कि उस ओर कुछ प्रयत्न हुए हैं। विशेष रूप से गरीबी हटाओं के संबंध में इस देश में जो चर्चा चल रही है, इस बजट में कुछ सीमा तक उसका उल्लेख // मिलता है, क्योंकि जितने भी प्रत्यक्ष कर लगे हैं वे ज्यादातर धनी लोगों पर और विशेष रूप से शहर के लोगों पर लगाए गए हैं। इस तरह से जो एक प्रकार की आर्थिक असमानता हमारे देश में चल रही है, उसको दूर करने का प्रयत्न अवश्य किया गया है।

लगभग पांच दशक पूर्व जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था, उस समय देश में जितने सरकारी कर्मचारी थे, वे ऐसा समझ बैठे थे कि अब तक देश में जिस तरह से // अंग्रेजों का प्रशासन चल रहा था उस तरह से काम नहीं चलेगा, क्योंकि कांग्रेस के जो नए लोग आए थे, जो मंत्री बने थे, वे लोग धन के मामले में त्यागी आदमी हैं, धन से उनको मोह नहीं है। लेकिन बाद में उन्होंने देखा कि हमारे मंत्री लोग भी उसी तरह से शानदार जीवन पसंद करने लग गए, जिस तरह से अंग्रेज करते थे।




   90 शब्द प्रतिमिनट

उपाध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री को देष की आर्थिक स्थिति और निर्धनता के संबंध में जितनी जानकारी प्राप्त होती है उतनी किसी अन्य मंत्री को संभव नहीं होती। बजट बनाते समय वैसे तो बजट में आय-व्यय का ब्यौरा होता ही है, लेकिन मूल रूप में देष की आर्थिक नीतियों में किस प्रकार का परिवर्तन हो तभी किस मार्ग पर वह देष को चलाना चाहते हैं, सरकार का लक्ष्य क्या है, इन सब नीतियों का बजट में विवरण होता है। हमारे वित मंत्री चाहे जिस पद पर भी रहे हों, चाहे वे मुख्यमंत्री // रहे हों या केद्रीय सरकार में रहे हों, उन्होंने शानदार काम किया। जिस सतय उन्होंने बजट प्रस्तुत किया उस समय देष को और विषेश रूप से गरीबों को उन से बहुत-सी आषाएं थी। देश में लगभग 6 लाख गांव हैं, उनमें जो बेरोजगारी है, गरीबी है, उसके संबंध में देश की जनता को उनसे बड़ी आशाएं थीं और जनता देखना चाहती थी कि इस अवसर पर सरकारी नीतियों के द्वारा देश को वे क्या मार्गदर्शन देना चाहते हैं।

इस दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण बातें इस समय देश के सामने थी - // देश का आर्थिक विकास तेजी से हो, अधिक लोगों को काम मिल सके और मूल्यों में स्थिरता आए। जहां तक इन तीन उद्देश्यों का संबंध है इमने देखा कि उस ओर कुछ प्रयत्न हुए हैं। विशेष रूप से गरीबी हटाओं के संबंध में इस देश में जो चर्चा चल रही है, इस बजट में कुछ सीमा तक उसका उल्लेख मिलता है, क्योंकि जितने भी प्रत्यक्ष कर लगे हैं वे ज्यादातर धनी लोगों पर और विशेष रूप से शहर के लोगों पर लगाए गए हैं। इस तरह से जो एक // प्रकार की आर्थिक असमानता हमारे देश में चल रही है, उसको दूर करने का प्रयत्न अवश्य किया गया है।

लगभग पांच दशक पूर्व जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था, उस समय देश में जितने सरकारी कर्मचारी थे, वे ऐसा समझ बैठे थे कि अब तक देश में जिस तरह से अंग्रेजों का प्रशासन चल रहा था उस तरह से काम नहीं चलेगा, क्योंकि कांग्रेस के जो नए लोग आए थे, जो मंत्री बने थे, वे लोग धन के मामले में त्यागी आदमी हैं, धन से उनको मोह नहीं है। // लेकिन बाद में उन्होंने देखा कि हमारे मंत्री लोग भी उसी तरह से शानदार जीवन पसंद करने लग गए, जिस तरह से अंग्रेज करते थे।


   100 शब्द प्रतिमिनट

उपाध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री को देष की आर्थिक स्थिति और निर्धनता के संबंध में जितनी जानकारी प्राप्त होती है उतनी किसी अन्य मंत्री को संभव नहीं होती। बजट बनाते समय वैसे तो बजट में आय-व्यय का ब्यौरा होता ही है, लेकिन मूल रूप में देष की आर्थिक नीतियों में किस प्रकार का परिवर्तन हो तभी किस मार्ग पर वह देष को चलाना चाहते हैं, सरकार का लक्ष्य क्या है, इन सब नीतियों का बजट में विवरण होता है। हमारे वित मंत्री चाहे जिस पद पर भी रहे हों, चाहे वे मुख्यमंत्री रहे हों या केद्रीय सरकार में रहे हों, उन्होंने शानदार // काम किया। जिस सतय उन्होंने बजट प्रस्तुत किया उस समय देष को और विषेश रूप से गरीबों को उन से बहुत-सी आषाएं थी। देश में लगभग 6 लाख गांव हैं, उनमें जो बेरोजगारी है, गरीबी है, उसके संबंध में देश की जनता को उनसे बड़ी आशाएं थीं और जनता देखना चाहती थी कि इस अवसर पर सरकारी नीतियों के द्वारा देश को वे क्या मार्गदर्शन देना चाहते हैं।

इस दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण बातें इस समय देश के सामने थी - देश का आर्थिक विकास तेजी से हो, अधिक लोगों को काम मिल सके और मूल्यों में स्थिरता आए। // जहां तक इन तीन उद्देश्यों का संबंध है इमने देखा कि उस ओर कुछ प्रयत्न हुए हैं। विशेष रूप से गरीबी हटाओं के संबंध में इस देश में जो चर्चा चल रही है, इस बजट में कुछ सीमा तक उसका उल्लेख मिलता है, क्योंकि जितने भी प्रत्यक्ष कर लगे हैं वे ज्यादातर धनी लोगों पर और विशेष रूप से शहर के लोगों पर लगाए गए हैं। इस तरह से जो एक प्रकार की आर्थिक असमानता हमारे देश में चल रही है, उसको दूर करने का प्रयत्न अवश्य किया गया है।

लगभग पांच दशक पूर्व जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था, // उस समय देश में जितने सरकारी कर्मचारी थे, वे ऐसा समझ बैठे थे कि अब तक देश में जिस तरह से अंग्रेजों का प्रशासन चल रहा था उस तरह से काम नहीं चलेगा, क्योंकि कांग्रेस के जो नए लोग आए थे, जो मंत्री बने थे, वे लोग धन के मामले में त्यागी आदमी हैं, धन से उनको मोह नहीं है। लेकिन बाद में उन्होंने देखा कि हमारे मंत्री लोग भी उसी तरह से शानदार जीवन पसंद करने लग गए, जिस तरह से अंग्रेज करते थे।


   120 शब्द प्रतिमिनट

उपाध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री को देष की आर्थिक स्थिति और निर्धनता के संबंध में जितनी जानकारी प्राप्त होती है उतनी किसी अन्य मंत्री को संभव नहीं होती। बजट बनाते समय वैसे तो बजट में आय-व्यय का ब्यौरा होता ही है, लेकिन मूल रूप में देष की आर्थिक नीतियों में किस प्रकार का परिवर्तन हो तभी किस मार्ग पर वह देष को चलाना चाहते हैं, सरकार का लक्ष्य क्या है, इन सब नीतियों का बजट में विवरण होता है। हमारे वित मंत्री चाहे जिस पद पर भी रहे हों, चाहे वे मुख्यमंत्री रहे हों या केद्रीय सरकार में रहे हों, उन्होंने शानदार // काम किया। जिस सतय उन्होंने बजट प्रस्तुत किया उस समय देष को और विषेश रूप से गरीबों को उन से बहुत-सी आषाएं थी। देश में लगभग 6 लाख गांव हैं, उनमें जो बेरोजगारी है, गरीबी है, उसके संबंध में देश की जनता को उनसे बड़ी आशाएं थीं और जनता देखना चाहती थी कि इस अवसर पर सरकारी नीतियों के द्वारा देश को वे क्या मार्गदर्शन देना चाहते हैं।

इस दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण बातें इस समय देश के सामने थी - देश का आर्थिक विकास तेजी से हो, अधिक लोगों को काम मिल सके और मूल्यों में स्थिरता आए। जहां // तक इन तीन उद्देश्यों का संबंध है इमने देखा कि उस ओर कुछ प्रयत्न हुए हैं। विशेष रूप से गरीबी हटाओं के संबंध में इस देश में जो चर्चा चल रही है, इस बजट में कुछ सीमा तक उसका उल्लेख मिलता है, क्योंकि जितने भी प्रत्यक्ष कर लगे हैं वे ज्यादातर धनी लोगों पर और विशेष रूप से शहर के लोगों पर लगाए गए हैं। इस तरह से जो एक प्रकार की आर्थिक असमानता हमारे देश में चल रही है, उसको दूर करने का प्रयत्न अवश्य किया गया है।

लगभग पांच दशक पूर्व जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था, उस // समय देश में जितने सरकारी कर्मचारी थे, वे ऐसा समझ बैठे थे कि अब तक देश में जिस तरह से अंग्रेजों का प्रशासन चल रहा था उस तरह से काम नहीं चलेगा, क्योंकि कांग्रेस के जो नए लोग आए थे, जो मंत्री बने थे, वे लोग धन के मामले में त्यागी आदमी हैं, धन से उनको मोह नहीं है। लेकिन बाद में उन्होंने देखा कि हमारे मंत्री लोग भी उसी तरह से शानदार जीवन पसंद करने लग गए, जिस तरह से अंग्रेज करते थे।

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From - RAJAT SONI



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