Ramdhari Gupta Khand 2 Dictation #03 [ 90 WPM ]

Ramdhari Gupta Khand 2 Dictation #03 [ 90 WPM ] [ REPUBLIC STENOGRAPHY ]




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 [ --   Ramdhari Khand 2 Dictation #03   -- ]


   70 शब्द प्रतिमिनट

  आइए, आज हम अपने विचारों को उस दिन तक ले जाएं जब हमने गणराज्य की घोषणा की थी। अपनी विकास की योजनाओं के संबंध में हमने वास्तव में काफी प्रगति की है। परंतु क्या हम भारत के सब नागरिकों को दरिद्रता अभाव तथा कष्ट से मुक्त करा पाए हैं? प्रकृति की शक्तियों को अपने अधीन करने और जनता के कल्याण के लिए उन्हें नियंत्रण में लाने की दिशा में भी // हम आगे बढ़े हैं। किंतु हम यह नहीं भूल सकते कि, कुछ महीने ही हुए, हमें भारत के उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण यातायात के साधन छिन्न-भिन्न हो गए और वहां की जनता को भारी हानि उठानी पड़ी। निस्संदेह साक्षरता-प्रसार और रोगों के निराकरण के महत्वपूर्ण उपाय भी हमने सोचे हैं, यद्यपि अभी भी देश के बहुत-से भागों में निरक्षरता और बीमारी पर्याप्त // मात्रा में दिखाई देती है। जनकल्याण की योजनाओं को हम बराबर आगे बढ़ाते रहेंगे, या हमारा दृढ़ संकल्प है। इसमें संदेह नहीं किया जा सकता। इन योजनाओं के पूरे होने के संबंध में जो प्रयास अब तक किया गया है, उससे भी हमें असंतुष्ट नहीं होना चाहिए। फिर भी, जो कुछ अब तक किया जा सका है, यदि वह बहुत चमत्कारी नहीं दीखता तो उसका कारण यह है कि अभी // निर्माण कार्य जारी है और समाप्त नहीं हुआ है। राष्ट्र के निर्माण में समय की आवश्यकता होती है। आज हमारा गणराज्य दिवस है और भारत जैसे प्राचीन राष्ट्र के इतिहास में पांच-सात वर्ष की अवधि एक स्वल्पकाल है। आइए, अब हम विगत वर्ष की घटनाओं पर नजर डालें और यह देखें कि विकास के कार्यों और निर्माण-योजनाओं की दिशा में हम कहां तक आगे बढ़ सके हैं।

यदि मुझसे यह // कहा जाए कि बीते वर्ष की घटनाओं का वर्णन में एक वाक्य में करूं, तो मैं कहना चाहूंगा कि संविधान में दिए गए निर्देशों के अनुसार हमने समस्त राष्ट्र के साधनों को ऐसे ढंग से जुटाना आरंभ कर दिया है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में कल्याणकारी राज्य की स्थापना का श्रीगणेश हो चुका है। पिछले वर्षों में हमने जो संकल्प और दावे किए थे, अब वे // मूर्तिमान होने लगे हैं। इसलिए अब यह समझना, कठिन नहीं है कि राष्ट्र किधर जा रहा है और आगामी दस या पंद्रह वर्षों में हम किस स्थिति में होंगे। महान नदी घाटी योजनाओं पर कार्य बराबर जारी है। इनमें से एक योजना, भाखड़ा-नंगल योजना से बहुमूल्य पानी और बिजली, पंजाब, पेप्सू तथा राजस्थान के भागों को मिलने भी लग गई है। दामोदर घाटी योजना से कुछ समय हुआ बिजली प्राप्त // होने लगी थी और हीराकुंड, चंबल तथा दूसरी महान योजनाओं की भांति यह योजना भी यथेष्ट रूप से आगे बढ़ रही है। भाखड़ा-नंगल योजना का प्रथम चरण समाप्त होने से अब यह स्पष्ट है कि इन महान योजनाओं के द्वारा देश में कितने महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाएंगे।




   80 शब्द प्रतिमिनट

आइए, आज हम अपने विचारों को उस दिन तक ले जाएं जब हमने गणराज्य की घोषणा की थी। अपनी विकास की योजनाओं के संबंध में हमने वास्तव में काफी प्रगति की है। परंतु क्या हम भारत के सब नागरिकों को दरिद्रता अभाव तथा कष्ट से मुक्त करा पाए हैं? प्रकृति की शक्तियों को अपने अधीन करने और जनता के कल्याण के लिए उन्हें नियंत्रण में लाने की दिशा में भी हम आगे बढ़े हैं। किंतु हम यह नहीं भूल सकते // कि, कुछ महीने ही हुए, हमें भारत के उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण यातायात के साधन छिन्न-भिन्न हो गए और वहां की जनता को भारी हानि उठानी पड़ी। निस्संदेह साक्षरता-प्रसार और रोगों के निराकरण के महत्वपूर्ण उपाय भी हमने सोचे हैं, यद्यपि अभी भी देश के बहुत-से भागों में निरक्षरता और बीमारी पर्याप्त मात्रा में दिखाई देती है। जनकल्याण की योजनाओं को हम बराबर आगे बढ़ाते रहेंगे, या हमारा दृढ़ संकल्प है। इसमें // संदेह नहीं किया जा सकता। इन योजनाओं के पूरे होने के संबंध में जो प्रयास अब तक किया गया है, उससे भी हमें असंतुष्ट नहीं होना चाहिए। फिर भी, जो कुछ अब तक किया जा सका है, यदि वह बहुत चमत्कारी नहीं दीखता तो उसका कारण यह है कि अभी निर्माण कार्य जारी है और समाप्त नहीं हुआ है। राष्ट्र के निर्माण में समय की आवश्यकता होती है। आज हमारा गणराज्य दिवस है और भारत जैसे प्राचीन राष्ट्र के इतिहास // में पांच-सात वर्ष की अवधि एक स्वल्पकाल है। आइए, अब हम विगत वर्ष की घटनाओं पर नजर डालें और यह देखें कि विकास के कार्यों और निर्माण-योजनाओं की दिशा में हम कहां तक आगे बढ़ सके हैं।

यदि मुझसे यह कहा जाए कि बीते वर्ष की घटनाओं का वर्णन में एक वाक्य में करूं, तो मैं कहना चाहूंगा कि संविधान में दिए गए निर्देशों के अनुसार हमने समस्त राष्ट्र के साधनों को ऐसे ढंग से जुटाना आरंभ कर दिया है // जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में कल्याणकारी राज्य की स्थापना का श्रीगणेश हो चुका है। पिछले वर्षों में हमने जो संकल्प और दावे किए थे, अब वे मूर्तिमान होने लगे हैं। इसलिए अब यह समझना, कठिन नहीं है कि राष्ट्र किधर जा रहा है और आगामी दस या पंद्रह वर्षों में हम किस स्थिति में होंगे। महान नदी घाटी योजनाओं पर कार्य बराबर जारी है। इनमें से एक योजना, भाखड़ा-नंगल योजना से बहुमूल्य पानी और बिजली, पंजाब, // पेप्सू तथा राजस्थान के भागों को मिलने भी लग गई है। दामोदर घाटी योजना से कुछ समय हुआ बिजली प्राप्त होने लगी थी और हीराकुंड, चंबल तथा दूसरी महान योजनाओं की भांति यह योजना भी यथेष्ट रूप से आगे बढ़ रही है। भाखड़ा-नंगल योजना का प्रथम चरण समाप्त होने से अब यह स्पष्ट है कि इन महान योजनाओं के द्वारा देश में कितने महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाएंगे।




   90 शब्द प्रतिमिनट

आइए, आज हम अपने विचारों को उस दिन तक ले जाएं जब हमने गणराज्य की घोषणा की थी। अपनी विकास की योजनाओं के संबंध में हमने वास्तव में काफी प्रगति की है। परंतु क्या हम भारत के सब नागरिकों को दरिद्रता अभाव तथा कष्ट से मुक्त करा पाए हैं? प्रकृति की शक्तियों को अपने अधीन करने और जनता के कल्याण के लिए उन्हें नियंत्रण में लाने की दिशा में भी हम आगे बढ़े हैं। किंतु हम यह नहीं भूल सकते कि, कुछ महीने ही हुए, हमें भारत के उत्तर-पूर्वी प्रदेशों // में भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण यातायात के साधन छिन्न-भिन्न हो गए और वहां की जनता को भारी हानि उठानी पड़ी। निस्संदेह साक्षरता-प्रसार और रोगों के निराकरण के महत्वपूर्ण उपाय भी हमने सोचे हैं, यद्यपि अभी भी देश के बहुत-से भागों में निरक्षरता और बीमारी पर्याप्त मात्रा में दिखाई देती है। जनकल्याण की योजनाओं को हम बराबर आगे बढ़ाते रहेंगे, या हमारा दृढ़ संकल्प है। इसमें संदेह नहीं किया जा सकता। इन योजनाओं के पूरे होने के संबंध में जो प्रयास अब तक किया गया है, // उससे भी हमें असंतुष्ट नहीं होना चाहिए। फिर भी, जो कुछ अब तक किया जा सका है, यदि वह बहुत चमत्कारी नहीं दीखता तो उसका कारण यह है कि अभी निर्माण कार्य जारी है और समाप्त नहीं हुआ है। राष्ट्र के निर्माण में समय की आवश्यकता होती है। आज हमारा गणराज्य दिवस है और भारत जैसे प्राचीन राष्ट्र के इतिहास में पांच-सात वर्ष की अवधि एक स्वल्पकाल है। आइए, अब हम विगत वर्ष की घटनाओं पर नजर डालें और यह देखें कि विकास के कार्यों और निर्माण-योजनाओं की दिशा में // हम कहां तक आगे बढ़ सके हैं।

यदि मुझसे यह कहा जाए कि बीते वर्ष की घटनाओं का वर्णन में एक वाक्य में करूं, तो मैं कहना चाहूंगा कि संविधान में दिए गए निर्देशों के अनुसार हमने समस्त राष्ट्र के साधनों को ऐसे ढंग से जुटाना आरंभ कर दिया है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में कल्याणकारी राज्य की स्थापना का श्रीगणेश हो चुका है। पिछले वर्षों में हमने जो संकल्प और दावे किए थे, अब वे मूर्तिमान होने लगे हैं। इसलिए अब यह समझना, कठिन नहीं // है कि राष्ट्र किधर जा रहा है और आगामी दस या पंद्रह वर्षों में हम किस स्थिति में होंगे। महान नदी घाटी योजनाओं पर कार्य बराबर जारी है। इनमें से एक योजना, भाखड़ा-नंगल योजना से बहुमूल्य पानी और बिजली, पंजाब, पेप्सू तथा राजस्थान के भागों को मिलने भी लग गई है। दामोदर घाटी योजना से कुछ समय हुआ बिजली प्राप्त होने लगी थी और हीराकुंड, चंबल तथा दूसरी महान योजनाओं की भांति यह योजना भी यथेष्ट रूप से आगे बढ़ रही है। भाखड़ा-नंगल योजना का प्रथम चरण समाप्त होने से // अब यह स्पष्ट है कि इन महान योजनाओं के द्वारा देश में कितने महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाएंगे।


   100 शब्द प्रतिमिनट

आइए, आज हम अपने विचारों को उस दिन तक ले जाएं जब हमने गणराज्य की घोषणा की थी। अपनी विकास की योजनाओं के संबंध में हमने वास्तव में काफी प्रगति की है। परंतु क्या हम भारत के सब नागरिकों को दरिद्रता अभाव तथा कष्ट से मुक्त करा पाए हैं? प्रकृति की शक्तियों को अपने अधीन करने और जनता के कल्याण के लिए उन्हें नियंत्रण में लाने की दिशा में भी हम आगे बढ़े हैं। किंतु हम यह नहीं भूल सकते कि, कुछ महीने ही हुए, हमें भारत के उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण // यातायात के साधन छिन्न-भिन्न हो गए और वहां की जनता को भारी हानि उठानी पड़ी। निस्संदेह साक्षरता-प्रसार और रोगों के निराकरण के महत्वपूर्ण उपाय भी हमने सोचे हैं, यद्यपि अभी भी देश के बहुत-से भागों में निरक्षरता और बीमारी पर्याप्त मात्रा में दिखाई देती है। जनकल्याण की योजनाओं को हम बराबर आगे बढ़ाते रहेंगे, या हमारा दृढ़ संकल्प है। इसमें संदेह नहीं किया जा सकता। इन योजनाओं के पूरे होने के संबंध में जो प्रयास अब तक किया गया है, उससे भी हमें असंतुष्ट नहीं होना चाहिए। फिर भी, जो कुछ अब तक किया जा सका है, यदि वह बहुत // चमत्कारी नहीं दीखता तो उसका कारण यह है कि अभी निर्माण कार्य जारी है और समाप्त नहीं हुआ है। राष्ट्र के निर्माण में समय की आवश्यकता होती है। आज हमारा गणराज्य दिवस है और भारत जैसे प्राचीन राष्ट्र के इतिहास में पांच-सात वर्ष की अवधि एक स्वल्पकाल है। आइए, अब हम विगत वर्ष की घटनाओं पर नजर डालें और यह देखें कि विकास के कार्यों और निर्माण-योजनाओं की दिशा में हम कहां तक आगे बढ़ सके हैं।

यदि मुझसे यह कहा जाए कि बीते वर्ष की घटनाओं का वर्णन में एक वाक्य में करूं, तो मैं कहना चाहूंगा कि संविधान // में दिए गए निर्देशों के अनुसार हमने समस्त राष्ट्र के साधनों को ऐसे ढंग से जुटाना आरंभ कर दिया है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में कल्याणकारी राज्य की स्थापना का श्रीगणेश हो चुका है। पिछले वर्षों में हमने जो संकल्प और दावे किए थे, अब वे मूर्तिमान होने लगे हैं। इसलिए अब यह समझना, कठिन नहीं है कि राष्ट� किधर जा रहा है और आगामी दस या पंद्रह वर्षों में हम किस स्थिति में होंगे। महान नदी घाटी योजनाओं पर कार्य बराबर जारी है। इनमें से एक योजना, भाखड़ा-नंगल योजना से बहुमूल्य पानी और बिजली, पंजाब, // पेप्सू तथा राजस्थान के भागों को मिलने भी लग गई है। दामोदर घाटी योजना से कुछ समय हुआ बिजली प्राप्त होने लगी थी और हीराकुंड, चंबल तथा दूसरी महान योजनाओं की भांति यह योजना भी यथेष्ट रूप से आगे बढ़ रही है। भाखड़ा-नंगल योजना का प्रथम चरण समाप्त होने से अब यह स्पष्ट है कि इन महान योजनाओं के द्वारा देश में कितने महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाएंगे।


   120 शब्द प्रतिमिनट

आइए, आज हम अपने विचारों को उस दिन तक ले जाएं जब हमने गणराज्य की घोषणा की थी। अपनी विकास की योजनाओं के संबंध में हमने वास्तव में काफी प्रगति की है। परंतु क्या हम भारत के सब नागरिकों को दरिद्रता अभाव तथा कष्ट से मुक्त करा पाए हैं? प्रकृति की शक्तियों को अपने अधीन करने और जनता के कल्याण के लिए उन्हें नियंत्रण में लाने की दिशा में भी हम आगे बढ़े हैं। किंतु हम यह नहीं भूल सकते कि, कुछ महीने ही हुए, हमें भारत के उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण यातायात के साधन छिन्न-भिन्न हो गए और वहां की जनता को भारी हानि उठानी पड़ी। निस्संदेह साक्षरता-प्रसार और रोगों के // निराकरण के महत्वपूर्ण उपाय भी हमने सोचे हैं, यद्यपि अभी भी देश के बहुत-से भागों में निरक्षरता और बीमारी पर्याप्त मात्रा में दिखाई देती है। जनकल्याण की योजनाओं को हम बराबर आगे बढ़ाते रहेंगे, या हमारा दृढ़ संकल्प है। इसमें संदेह नहीं किया जा सकता। इन योजनाओं के पूरे होने के संबंध में जो प्रयास अब तक किया गया है, उससे भी हमें असंतुष्ट नहीं होना चाहिए। फिर भी, जो कुछ अब तक किया जा सका है, यदि वह बहुत चमत्कारी नहीं दीखता तो उसका कारण यह है कि अभी निर्माण कार्य जारी है और समाप्त नहीं हुआ है। राष्ट्र के निर्माण में समय की आवश्यकता होती है। आज हमारा गणराज्य दिवस है और भारत जैसे प्राचीन राष्ट्र के इतिहास // में पांच-सात वर्ष की अवधि एक स्वल्पकाल है। आइए, अब हम विगत वर्ष की घटनाओं पर नजर डालें और यह देखें कि विकास के कार्यों और निर्माण-योजनाओं की दिशा में हम कहां तक आगे बढ़ सके हैं।

यदि मुझसे यह कहा जाए कि बीते वर्ष की घटनाओं का वर्णन में एक वाक्य में करूं, तो मैं कहना चाहूंगा कि संविधान में दिए गए निर्देशों के अनुसार हमने समस्त राष्ट्र के साधनों को ऐसे ढंग से जुटाना आरंभ कर दिया है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में कल्याणकारी राज्य की स्थापना का श्रीगणेश हो चुका है। पिछले वर्षों में हमने जो संकल्प और दावे किए थे, अब वे मूर्तिमान होने लगे हैं। इसलिए अब यह समझना, कठिन नहीं // है कि राष्ट्र किधर जा रहा है और आगामी दस या पंद्रह वर्षों में हम किस स्थिति में होंगे। महान नदी घाटी योजनाओं पर कार्य बराबर जारी है। इनमें से एक योजना, भाखड़ा-नंगल योजना से बहुमूल्य पानी और बिजली, पंजाब, पेप्सू तथा राजस्थान के भागों को मिलने भी लग गई है। दामोदर घाटी योजना से कुछ समय हुआ बिजली प्राप्त होने लगी थी और हीराकुंड, चंबल तथा दूसरी महान योजनाओं की भांति यह योजना भी यथेष्ट रूप से आगे बढ़ रही है। भाखड़ा-नंगल योजना का प्रथम चरण समाप्त होने से अब यह स्पष्ट है कि इन महान योजनाओं के द्वारा देश में कितने महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाएंगे।


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From - RAJAT SONI



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