Ramdhari Gupta Khand 1 Dictation #01 [ 70 WPM ]

Ramdhari Gupta Khand 1 Dictation #01 [ 70 WPM ] [ REPUBLIC STENOGRAPHY ]




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 [ --   Ramdhari Khand 1 Dictation #01   -- ]


   70 शब्द प्रतिमिनट

सभापति महोदय, मैं रक्षा मंत्रालय की मांगों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। वर्तमान घटनाओं से पता चलता है कि संसार का हर देश अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और उसके लिए हर प्रयत्न कर रहा है। इस दृष्टि से अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी रक्षा मंत्रालय का महत्व है। मुझे इस बात की खुशी है कि जहां अन्य मंत्रालयों की उनके // पिछले साल के कामों के बारे में काफी आलोचना हुई है, वहां इस मंत्रालय की कम आलोचना हुई है। मौटे तौर पर किसी भी देश की सुरक्षा नीति का लक्ष्य यह होता है कि दूसरे देशों, खास तौर से पड़ोसी देशों, के साथ मित्रता के संबंध स्थापित हों और हम एक दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करें, लेकिन उसके साथ यह भी जरूरी होता है कि हम अपने देश की सीमाओं और अखंडता की रक्षा करें। इसलिए हमारे देश का // यह कत्र्तव्य हो जाता है कि हम अपने पड़ोसियों के कार्यों पर पूरी नजर रखें, क्योंकि आज तक हमारे देश पर जो संकट आए वे हमारे पड़ोसियों से आए हैं। 1965 में पाकिस्तान के साथ जो लड़ाई हुई और उसके बाद ताशकंद में जो समझौता हुआ, वह सिर्फ कागज पर ही रहा पाकिस्तान ने उस पर कोई अमल नहीं किया। इस दृष्टि से बहुत जरूरी है कि हम अपने देश की सुरक्षा की हर तरह से व्यवस्था करें। // हमारा उद्देश्य दूसरों पर आक्रमण करना नहीं है। लेकिन यदि हम पर कोई आक्रमण करे, तो हम में इतनी शक्ति अवश्य होनी चाहिए कि हम उस का डटकर सामना कर सकें।

आप जानते हैं कि पिछले दिनों पाकिस्तान को अमरीका और चीन से काफी मदद मिली है। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पिछले साल अमरीका ने पाकिसतान को 15 सौ करोड़ रुपए की फौजी सहायता दी है आज जहां हम फौजी सामान के लिए अपने कारखानों की // मदद से अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं, वहां पाकिस्तान संसार के देशों से फौजी सामान खरीद रहा हैं अपनी नीति के कारण वह सब देशों से लाभ उठा रहा है। मेरा सुझाव है कि हम को भी अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संसार के अन्य देशों से अधिक से अधिक फौजी सामान खरीदना चाहिए। आज तिब्बत की सीमा पर चीन की डेढ़ लाख फौज खड़ी है। //




   80 शब्द प्रतिमिनट

सभापति महोदय, मैं रक्षा मंत्रालय की मांगों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। वर्तमान घटनाओं से पता चलता है कि संसार का हर देश अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और उसके लिए हर प्रयत्न कर रहा है। इस दृष्टि से अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी रक्षा मंत्रालय का महत्व है। मुझे इस बात की खुशी है कि जहां अन्य मंत्रालयों की उनके पिछले साल के कामों के बारे में काफी आलोचना हुई है, // वहां इस मंत्रालय की कम आलोचना हुई है। मौटे तौर पर किसी भी देश की सुरक्षा नीति का लक्ष्य यह होता है कि दूसरे देशों, खास तौर से पड़ोसी देशों, के साथ मित्रता के संबंध स्थापित हों और हम एक दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करें, लेकिन उसके साथ यह भी जरूरी होता है कि हम अपने देश की सीमाओं और अखंडता की रक्षा करें। इसलिए हमारे देश का यह कत्र्तव्य हो जाता है कि हम अपने पड़ोसियों के // कार्यों पर पूरी नजर रखें, क्योंकि आज तक हमारे देश पर जो संकट आए वे हमारे पड़ोसियों से आए हैं। 1965 में पाकिस्तान के साथ जो लड़ाई हुई और उसके बाद ताशकंद में जो समझौता हुआ, वह सिर्फ कागज पर ही रहा पाकिस्तान ने उस पर कोई अमल नहीं किया। इस दृष्टि से बहुत जरूरी है कि हम अपने देश की सुरक्षा की हर तरह से व्यवस्था करें। हमारा उद्देश्य दूसरों पर आक्रमण करना नहीं है। लेकिन यदि हम पर // कोई आक्रमण करे, तो हम में इतनी शक्ति अवश्य होनी चाहिए कि हम उस का डटकर सामना कर सकें।

आप जानते हैं कि पिछले दिनों पाकिस्तान को अमरीका और चीन से काफी मदद मिली है। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पिछले साल अमरीका ने पाकिसतान को 15 सौ करोड़ रुपए की फौजी सहायता दी है आज जहां हम फौजी सामान के लिए अपने कारखानों की मदद से अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं, // वहां पाकिस्तान संसार के देशों से फौजी सामान खरीद रहा हैं अपनी नीति के कारण वह सब देशों से लाभ उठा रहा है। मेरा सुझाव है कि हम को भी अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संसार के अन्य देशों से अधिक से अधिक फौजी सामान खरीदना चाहिए। आज तिब्बत की सीमा पर चीन की डेढ़ लाख फौज खड़ी है।




    

   90 शब्द प्रतिमिनट

सभापति महोदय, मैं रक्षा मंत्रालय की मांगों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। वर्तमान घटनाओं से पता चलता है कि संसार का हर देश अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और उसके लिए हर प्रयत्न कर रहा है। इस दृष्टि से अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी रक्षा मंत्रालय का महत्व है। मुझे इस बात की खुशी है कि जहां अन्य मंत्रालयों की उनके पिछले साल के कामों के बारे में काफी आलोचना हुई है, वहां इस मंत्रालय की कम आलोचना हुई है। मौटे तौर// पर किसी भी देश की सुरक्षा नीति का लक्ष्य यह होता है कि दूसरे देशों, खास तौर से पड़ोसी देशों, के साथ मित्रता के संबंध स्थापित हों और हम एक दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करें, लेकिन उसके साथ यह भी जरूरी होता है कि हम अपने देश की सीमाओं और अखंडता की रक्षा करें। इसलिए हमारे देश का यह कत्र्तव्य हो जाता है कि हम अपने पड़ोसियों के कार्यों पर पूरी नजर रखें, क्योंकि आज तक हमारे देश // पर जो संकट आए वे हमारे पड़ोसियों से आए हैं। 1965 में पाकिस्तान के साथ जो लड़ाई हुई और उसके बाद ताशकंद में जो समझौता हुआ, वह सिर्फ कागज पर ही रहा पाकिस्तान ने उस पर कोई अमल नहीं किया। इस दृष्टि से बहुत जरूरी है कि हम अपने देश की सुरक्षा की हर तरह से व्यवस्था करें। हमारा उद्देश्य दूसरों पर आक्रमण करना नहीं है। लेकिन यदि हम पर कोई आक्रमण करे, तो हम में इतनी शक्ति अवश्य होनी // चाहिए कि हम उस का डटकर सामना कर सकें।

आप जानते हैं कि पिछले दिनों पाकिस्तान को अमरीका और चीन से काफी मदद मिली है। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पिछले साल अमरीका ने पाकिसतान को 15 सौ करोड़ रुपए की फौजी सहायता दी है आज जहां हम फौजी सामान के लिए अपने कारखानों की मदद से अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं, वहां पाकिस्तान संसार के देशों से फौजी // सामान खरीद रहा हैं अपनी नीति के कारण वह सब देशों से लाभ उठा रहा है। मेरा सुझाव है कि हम को भी अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संसार के अन्य देशों से अधिक से अधिक फौजी सामान खरीदना चाहिए। आज तिब्बत की सीमा पर चीन की डेढ़ लाख फौज खड़ी है।


   100 शब्द प्रतिमिनट

सभापति महोदय, मैं रक्षा मंत्रालय की मांगों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। वर्तमान घटनाओं से पता चलता है कि संसार का हर देश अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और उसके लिए हर प्रयत्न कर रहा है। इस दृष्टि से अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी रक्षा मंत्रालय का महत्व है। मुझे इस बात की खुशी है कि जहां अन्य मंत्रालयों की उनके पिछले साल के कामों के बारे में काफी आलोचना हुई है, वहां इस मंत्रालय की कम आलोचना हुई है। मौटे तौर // पर किसी भी देश की सुरक्षा नीति का लक्ष्य यह होता है कि दूसरे देशों, खास तौर से पड़ोसी देशों, के साथ मित्रता के संबंध स्थापित हों और हम एक दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करें, लेकिन उसके साथ यह भी जरूरी होता है कि हम अपने देश की सीमाओं और अखंडता की रक्षा करें। इसलिए हमारे देश का यह कत्र्तव्य हो जाता है कि हम अपने पड़ोसियों के कार्यों पर पूरी नजर रखें, क्योंकि आज तक हमारे देश // पर जो संकट आए वे हमारे पड़ोसियों से आए हैं। 1965 में पाकिस्तान के साथ जो लड़ाई हुई और उसके बाद ताशकंद में जो समझौता हुआ, वह सिर्फ कागज पर ही रहा पाकिस्तान ने उस पर कोई अमल नहीं किया। इस दृष्टि से बहुत जरूरी है कि हम अपने देश की सुरक्षा की हर तरह से व्यवस्था करें। हमारा उद्देश्य दूसरों पर आक्रमण करना नहीं है। लेकिन यदि हम पर कोई आक्रमण करे, तो हम में इतनी शक्ति अवश्य होनी // चाहिए कि हम उस का डटकर सामना कर सकें।

आप जानते हैं कि पिछले दिनों पाकिस्तान को अमरीका और चीन से काफी मदद मिली है। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पिछले साल अमरीका ने पाकिसतान को 15 सौ करोड़ रुपए की फौजी सहायता दी है आज जहां हम फौजी सामान के लिए अपने कारखानों की मदद से अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं, वहां पाकिस्तान संसार के देशों से फौजी सामान खरीद रहा हैं // अपनी नीति के कारण वह सब देशों से लाभ उठा रहा है। मेरा सुझाव है कि हम को भी अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संसार के अन्य देशों से अधिक से अधिक फौजी सामान खरीदना चाहिए। आज तिब्बत की सीमा पर चीन की डेढ़ लाख फौज खड़ी है।


   120 शब्द प्रतिमिनट

सभापति महोदय, मैं रक्षा मंत्रालय की मांगों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। वर्तमान घटनाओं से पता चलता है कि संसार का हर देश अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और उसके लिए हर प्रयत्न कर रहा है। इस दृष्टि से अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी रक्षा मंत्रालय का महत्व है। मुझे इस बात की खुशी है कि जहां अन्य मंत्रालयों की उनके पिछले साल के कामों के बारे में काफी आलोचना हुई है, वहां इस मंत्रालय की कम आलोचना हुई है। मौटे तौर पर किसी भी देश की सुरक्षा नीति का लक्ष्य यह होता// है कि दूसरे देशों, खास तौर से पड़ोसी देशों, के साथ मित्रता के संबंध स्थापित हों और हम एक दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करें, लेकिन उसके साथ यह भी जरूरी होता है कि हम अपने देश की सीमाओं और अखंडता की रक्षा करें। इसलिए हमारे देश का यह कत्र्तव्य हो जाता है कि हम अपने पड़ोसियों के कार्यों पर पूरी नजर रखें, क्योंकि आज तक हमारे देश पर जो संकट आए वे हमारे पड़ोसियों से आए हैं। // 1965 में पाकिस्तान के साथ जो लड़ाई हुई और उसके बाद ताशकंद में जो समझौता हुआ, वह सिर्फ कागज पर ही रहा पाकिस्तान ने उस पर कोई अमल नहीं किया। इस दृष्टि से बहुत जरूरी है कि हम अपने देश की सुरक्षा की हर तरह से व्यवस्था करें। हमारा उद्देश्य दूसरों पर आक्रमण करना नहीं है। लेकिन यदि हम पर कोई आक्रमण करे, तो हम में इतनी शक्ति अवश्य होनी चाहिए कि हम उस का डटकर सामना कर सकें। //

आप जानते हैं कि पिछले दिनों पाकिस्तान को अमरीका और चीन से काफी मदद मिली है। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पिछले साल अमरीका ने पाकिसतान को 15 सौ करोड़ रुपए की फौजी सहायता दी है आज जहां हम फौजी सामान के लिए अपने कारखानों की मदद से अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं, वहां पाकिस्तान संसार के देशों से फौजी सामान खरीद रहा हैं अपनी नीति के कारण वह सब देशों से लाभ उठा रहा है। // मेरा सुझाव है कि हम को भी अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संसार के अन्य देशों से अधिक से अधिक फौजी सामान खरीदना चाहिए। आज तिब्बत की सीमा पर चीन की डेढ़ लाख फौज खड़ी है।


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From - RAJAT SONI



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