SSC,RMSSB,CRPF,DSSB,HIGHCOURT, DICTATION #01 | REPUBLIC STENOGRAPHY

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 [ --  SSC RMSSB CRPF DSSB HIGHCOURT  -- ]


      महोदय, राष्ट्रीय रोजगार कार्यक्रम के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार तथा कम रोजगार वाले पुरुषों को निरंतर तथा महिलाओं हेतु अतिरिक्त लाभप्रद रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं, निर्धन वर्गो को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से निरंतर लाभ पहुंचाना तथा गांव के आर्थिक एवं सामाजिक आधारभूत ढांचे को मजबूत करने हेतु उत्पादित सामुदायिक सम्पत्तियों का निर्माण करना ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी से प्रगति तथा ग्रामीण निर्धनों की आय में निरंतर वृद्धि हो। इस योजना का मूल यह है कि भारत सरकार के मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार प्रदेश में जनवरी 1981 से यह कार्य क्रम चलाया जा रहा है। यह एक केंद्रीय परिवर्तित कार्यक्रम है जो राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से आधे-आधे व्यय भार के आधार पर चलाया जाता है इसका संचालन जिला ग्रामीण बैंक विकास अभिकरण द्वारा किया जा रहा है अब जिला पंचायतों को भी इस कार्यक्रम से संबंद्ध किया गया है, ब्लाॅक स्तर तक भी इसका विस्तार करने का प्रयास है।

इस कार्यक्रम के लिए जिले को उपलब्ध आबंटन को जिले के विकास खण्डों और कार्यक्रम कार्यान्वयन करने वाले विभागीय अधिकारियों को दिया जाता था। अब ग्राम पंचायतों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के अनुसार उनके द्वारा कार्य कराये जाते हैं और उसका समय से लेखा-जोखा और निर्धारित प्रतिवेदन भी समयावधि में भेजना है। यह कार्य किसी विभागीय मशीनरी से किया जाना है। इसके लिए जो धनराशि दी जाती है उसकी जानकारी भी जिला पंचायतों को देने के निर्देश हैं। जनपद पंचायतों को पचास हजार रुपये तक की लागत के नवीन कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति देने के अधिकार दिए गए हैं। उनको दी गई राशि में से 75 प्रतिशत राशि पुराने कार्यों को पूरा करने के लिए और 25 प्रतिशत राशि नये कार्यों को करने के लिए निर्देश दिए हैं।




     राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार का काफी प्रतिशत कियान्वयन ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जा रहा है। इसके लिए पंचायत की निर्माण समिति गठित की जानी चाहिए जिसमें सरपंच और जिस ग्राम में काम हो रहा है। वहां के एक एक पंच के साथ उपयंत्री सदस्य भी होते हैं, जहां शाला भवन का निर्माण कार्य होना है। वहां उस शाला का प्रधान पाठक या वहां का कोई अन्य शिक्षक इसमें शामिल किया जाता है। इन निर्माण कर्यों पर निगरानी रखने औरसलाह देने के लिए सलाहकार समिति भीनिर्मित की जाती है, जिसमें अन्य सदस्यों के अतिरिक्त जनपद पंचायतों के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष भी सदस्य हैं, स्पष्ट है कि इस योजना के क्रियान्वयन में इन्हें बड़ी भूमिका अदा करनी है, निर्माण कार्य सुचारू रूप से कराने तथा तत्परता से समयावधि में पूर्ण कराने के साथ-साथ सरपंच तथा पंचों का यह कर्तव्य है कि इससे संबंधि रिकार्ड और व्यवस्थित और अद्यतन रखें।

शासन के ध्यान में ऐसे प्रकारण आए हैं जिनमें कुछ सरपंचों एवं पंचों को जिस निर्माण कार्य के लिए धनराशि दी गई है उसे वे समयावधि में पूर्ण नहीं कराते अथवा अधूरा छोड़ देते हैं कुछ राशि अपने पास रख लेते हैं और हिसाब भी नहीं लेते इससे कार्यक्रम की गति में व्यवधान उत्पन्न होना स्वाभाविक है।






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From - RAJAT SONI



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